आज सुनते हैं उस्ताद को थोड़ा सा हल्के मूड में. सुनते हुए आप को कोई पहले से सुने किसी गीत या ग़ज़ल की याद आने लगे तो अचरज नहीं होना चाहिए. मुझे ठीक ठीक तो पता नहीं लेकिन एक साहब ने कभी बताया था कि उस्ताद ने इसे एक फ़िल्म के लिए रिकॉर्ड किया था. यदि कोई सज्जन इस विषय पर कुछ रोशनी डाल सकें, तो अहसान माना जाएगा:
हमारी सांसों में आज तक वो हिना की ख़ुशबू महक रही है
लबों पे नग़्मे मचल रहे हैं, नज़र से मस्ती छलक रही है
कभी जो थे प्यार की ज़मानत, वो हाथ हैं ग़ैर की अमानत
जो कसमें खाते थे चाहतों की उन्हीं की नीयत बहक रही है
किसी से कोई गिला नहीं है, नसीब ही में वफ़ा नहीं है
जहां कहीं था हिना को खिलना, हिना वहीं पे महक रही है
वो जिनकी ख़ातिर ग़ज़ल कही थी, वो जिनकी ख़ातिर लिखे थे नग़्मे
उन्हीं के आगे सवाल बन के ग़ज़ल की झांझर झनक रही है
'राह देखा करेगा सदियों तक छोड़ जाएँगे ये जहाँ तन्हा’ : मीना कुमारी की याद
में
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मीना आपा के भीतर कोई चंचल-शोख़ और मन की उड़ान भरती कोई बेफिक्र लड़की रही
होगी...शायद कभी...क्या पता।
पर उनके जीवन पर उदासी का ग्रहण इतना गहरा था कि व...
2 years ago
5 comments:
बहुत ख़ूबसूरत।
dhun bilkul hamarey yahan ke ek filmi gaaney sii hai...mehndi hasan sahab ne kayi halke fulkey nagmey filmon ke liye bhi gaye hain...ye vala pehli baar suna...ek duffa sun ney me asar nahi hua...2-3 baar ke baad ....fir baar baar suna....
बहुत खूब!
उम्दा प्रस्तुति,
एक फ़िल्मी गीत "तुम्हारी नजरों में हमने देखा, अजब सी चाहत झलक रही है" की धुन भी हूबहू ऐसी ही है ।
The Song is from a Pakistani Film "Mere Hazoor"
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