अशोक भाई ने सुख़नसाज़ की जाजम क्या जमा दी है , जी चाहता है हर दिन मेहंदी ह्सन साहब की तारीफ़ में कसीदे गढ़ते रहें.जनाब क्या करें ख़ाँ साहब की गायकी है ही कुछ ऐसी कि जो कुछ अभी तक गा दिया गया है वह वह पुराना पड़ जाता है.जो जो सुन रखा है,याद से ओझल हो जाता है.आज बहुत थोड़े में अपनी बात ख़त्म कर रहा हूँ और आपको मदू कर रहा हूँ कि आइये हुज़ूर आवाज़ के इस जश्न में शामिल हो जाइये.
यहाँ बस इतना साफ़ कर देना चाहता हूँ कि उस्ताद जी ने यहाँ ग़ज़ल गायकी का रंग तो उड़ेला ही है लेकिन बार बार वे ये भी बताते जा रहे हैं कि क्लासिकल मौसीक़ी का आसरा क्या होता है. गायकी में पूर्णता के पर्याय बन गए हैं यहाँ मेहंदी हसन साहब.एक बात और अर्ज़ कर दूँ ,शायरी के साथ मौसीक़ी के जो उजले वर्क़ यहाँ मौजूद हैं , कुछ उनका ज़्यादा लुत्फ़ लेने की कोशिश कीजै......सौदा बुरा नहीं है
'राह देखा करेगा सदियों तक छोड़ जाएँगे ये जहाँ तन्हा’ : मीना कुमारी की याद
में
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मीना आपा के भीतर कोई चंचल-शोख़ और मन की उड़ान भरती कोई बेफिक्र लड़की रही
होगी...शायद कभी...क्या पता।
पर उनके जीवन पर उदासी का ग्रहण इतना गहरा था कि व...
2 years ago
3 comments:
अभी भी सुन रहा हूँ डूब कर, बहुत उम्दा..आनन्द आ जाता है मैंहदी हसन साहब को सुनकर.
Mahandi Hasan ji ko sun kar office ki saari thakawat uter gai hai....
Thanx for nice music
बहुत ही दिलकश ग़ज़ल है...
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