Friday, September 19, 2008

गायकी की पूर्णता क्या होती है ज़रा मेहंदी हसन साहब से सुनिये


अशोक भाई ने सुख़नसाज़ की जाजम क्या जमा दी है , जी चाहता है हर दिन मेहंदी ह्सन साहब की तारीफ़ में कसीदे गढ़ते रहें.जनाब क्या करें ख़ाँ साहब की गायकी है ही कुछ ऐसी कि जो कुछ अभी तक गा दिया गया है वह वह पुराना पड़ जाता है.जो जो सुन रखा है,याद से ओझल हो जाता है.आज बहुत थोड़े में अपनी बात ख़त्म कर रहा हूँ और आपको मदू कर रहा हूँ कि आइये हुज़ूर आवाज़ के इस जश्न में शामिल हो जाइये.
यहाँ बस इतना साफ़ कर देना चाहता हूँ कि उस्ताद जी ने यहाँ ग़ज़ल गायकी का रंग तो उड़ेला ही है लेकिन बार बार वे ये भी बताते जा रहे हैं कि क्लासिकल मौसीक़ी का आसरा क्या होता है. गायकी में पूर्णता के पर्याय बन गए हैं यहाँ मेहंदी हसन साहब.एक बात और अर्ज़ कर दूँ ,शायरी के साथ मौसीक़ी के जो उजले वर्क़ यहाँ मौजूद हैं , कुछ उनका ज़्यादा लुत्फ़ लेने की कोशिश कीजै......सौदा बुरा नहीं है


3 comments:

Udan Tashtari said...

अभी भी सुन रहा हूँ डूब कर, बहुत उम्दा..आनन्द आ जाता है मैंहदी हसन साहब को सुनकर.

MANVINDER BHIMBER said...

Mahandi Hasan ji ko sun kar office ki saari thakawat uter gai hai....
Thanx for nice music

फ़िरदौस ख़ान said...

बहुत ही दिलकश ग़ज़ल है...