"अमीर" अब हिचकियाँ आने लगीं हैं
कहीं मैं याद फ़रमाया गया हूँ ......"
दोस्तों कोई भूमिका नहीं ... सिवा इस के कि बहुत देर से ये आवाज़ सुन रहा हूँ और किसी और जहान में हूँ.
कुछ तो इस आवाज़ का नशा है ..... कुछ इस ग़ज़ल का कमाल ........ और कुछ मेरी फ़ितरत !
पता नहीं गायकी में क्या ख़ूबी है .. लेकिन असर इस से भी ज़्यादा क्या होता होगा ?
कौन कहता है तुझे मैं ने भुला रखा है
तेरी यादों को कलेजे से लगा रखा है
लब पे आहें भी नहीं आँख में आँसू भी नहीं
दिल में हर दाग़ मुहब्बत का छुपा रखा है
तूने जो दिल के अंधेरे में जलाया था कभी
वो दिया आज भी सीने में जला रखा है
देख जा आ के महकते हुए ज़ख्मों को बहार
मैं ने अब तक तेरे गुलशन को सजा रखा है
'राह देखा करेगा सदियों तक छोड़ जाएँगे ये जहाँ तन्हा’ : मीना कुमारी की याद
में
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मीना आपा के भीतर कोई चंचल-शोख़ और मन की उड़ान भरती कोई बेफिक्र लड़की रही
होगी...शायद कभी...क्या पता।
पर उनके जीवन पर उदासी का ग्रहण इतना गहरा था कि व...
2 years ago
6 comments:
लब पे आहें भी नहीं आँख में आँसू भी नहीं
दिल में हर दाग़ मुहब्बत का छुपा रखा है
" what a song to hear, so touching and loving thanks for sharing'
Regards
क्या कहना इस आवाज़ का....सुनकर कौन कह सकता है कि दिल से भुला रखा है, । शुक्रिया मीत।
वाह! वाह! आनंद आ गया सुनकर. कितने दिनों बाद सुन ने को मिला. दुर्लभ संगीत सुनवाने के लिए आभार.
बरसों पहले एक ऑडियो कैसेट विक्रेता के पास खैय्याम साहब का एक चार कैसेट का गैर फिल्मी रचनाओं का संग्रह बिक नहीं रहा था और उसने मुझे सस्ती कीमत पर उन चार कैसेट का संग्रह दे दिया और मुझे तो मानो खजाना मिल गया।
उसी संग्रह में यह गज़ल थी जिसे कैसेट खराब होने तक मैं लगातार सुना करता था। आज बरसों बाद यह गीत सुना।
इस संग्रह में एक और तलत साहब की गज़ल थी नक्श फ़रियादी है.....
ढूँढ कर ले आये हैं आप ये नायाब ग़ज़ल। शुक्रिया। तलत महमूद की sonorous आवाज़ भी जादू करती है
तलत जी की आवाज, धीमा धीमा संगीत और बेकरारी का एहसास...कौन कमबख्त इस जादू से बच सकता है? बेहतरीन...
नीरज
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