Tuesday, September 23, 2008

किसी ने पूछा कि बात क्या है, तो दुख हंसी में बदल गए हैं

उस्ताद ख़ान साहेब मेहदी हसन के स्वर में सुनें एक और फ़िल्मी गीत:



कहा जो मरने को मर गए हम, कहा जो जीने को जी उठे हम
अब और क्या चाहता है ज़ालिम, तेरे इशारों पर चल रहे हम

किसी से कुछ भी कहा नहीं है, न जाने कैसे ख़बर हुई है
जो दर्द सीने में पल रहे थे वो गीत बन के मचल रहे हैं

न आये लब पे तेरी कहानी, तबाह कर दी ये ज़िन्दगानी
किसी ने पूछा कि बात क्या है, तो दुख हंसी में बदल गए हैं

ये रात जाने कटेगी कैसे, ये प्यास जाने बुझेगी कैसे
कहीं पे रोशन वफ़ा की शम्में, कहीं पे परवाने जल रहे हैं

1 comments:

Udan Tashtari said...

बहुत जबरदस्त!! आभार सुनवाने का.