उस्ताद ख़ान साहेब मेहदी हसन के स्वर में सुनें एक और फ़िल्मी गीत:
कहा जो मरने को मर गए हम, कहा जो जीने को जी उठे हम
अब और क्या चाहता है ज़ालिम, तेरे इशारों पर चल रहे हम
किसी से कुछ भी कहा नहीं है, न जाने कैसे ख़बर हुई है
जो दर्द सीने में पल रहे थे वो गीत बन के मचल रहे हैं
न आये लब पे तेरी कहानी, तबाह कर दी ये ज़िन्दगानी
किसी ने पूछा कि बात क्या है, तो दुख हंसी में बदल गए हैं
ये रात जाने कटेगी कैसे, ये प्यास जाने बुझेगी कैसे
कहीं पे रोशन वफ़ा की शम्में, कहीं पे परवाने जल रहे हैं
'राह देखा करेगा सदियों तक छोड़ जाएँगे ये जहाँ तन्हा’ : मीना कुमारी की याद
में
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मीना आपा के भीतर कोई चंचल-शोख़ और मन की उड़ान भरती कोई बेफिक्र लड़की रही
होगी...शायद कभी...क्या पता।
पर उनके जीवन पर उदासी का ग्रहण इतना गहरा था कि व...
2 years ago
1 comments:
बहुत जबरदस्त!! आभार सुनवाने का.
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