Tuesday, September 11, 2012

रात गयी तो रात ना होगी

खालिद महमूद ‘आरिफ़’ की ग़ज़ल उस्ताद मेहदी हसन की आवाज़ में -



बिन बारिश बरसात ना होगी
रात गयी तो रात ना होगी

राज़-ए-मोहब्बत तुम मत पूछो
मुझसे तो ये बात ना होगी

किस से दिल बहलाओगे तुम
जिस दम मेरी ज़ात ना होगी

यूं देखेंगे ‘आरिफ़’ उसको
बीच में अपनी ज़ात ना होगी




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