ग़ज़ल गायकी की जो जागीरदारी मोहतरमा फ़रीदा ख़ानम को मिली है वह शीरीं भी है और पुरकशिश भी. वे जब गा रही हों तो दिल-दिमाग़ मे एक ऐसी ख़ूशबू तारी हो जाती है कि लगता है इस ग़ज़ल को रिवाइंड कर कर के सुनिये या निकल पड़िये एक ऐसी यायावरी पर जहाँ आपको कोई पहचानता न हो और फ़रीदा आपा की आवाज़ आपको बार बार हाँट करती रहे. यक़ीन न हो तो ये ग़ज़ल सुनिये...
'राह देखा करेगा सदियों तक छोड़ जाएँगे ये जहाँ तन्हा’ : मीना कुमारी की याद
में
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मीना आपा के भीतर कोई चंचल-शोख़ और मन की उड़ान भरती कोई बेफिक्र लड़की रही
होगी...शायद कभी...क्या पता।
पर उनके जीवन पर उदासी का ग्रहण इतना गहरा था कि व...
2 years ago
3 comments:
अल्लाह करे जहां को मेरी याद भूल जाए,
अल्लाह करे के तुम कभी ऐसा न कर सको।
संजय भाई बहुत ख़ूब चुनकर लाए आप....बहूत बढि़या।
बहुत खूब ..बधाई ..
वाह संजय भाई, क्या ग़ज़ल है। फ़रीदा आपा तो वैसे भी मेरी पसंदीदा ग़ज़ल-गायिका हैं। अफ़सोस मेरे पास ये ग़ज़ल नहीं है। :(
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