सुखनसाज़ पर ये मेरी पहली हाजिरी है । और इसे ख़ास बनाने की कोशिश में यहां आने में इतनी देर लग गई । वरना अशोक भाई ने तो कई हफ्तों पहले मुझे सुख़नसाजि़या बना डाला था । बहरहाल, मैंने अपने लिए सुखनसाज़ी के कुछ पैमाने तय किये हैं । उन पर अमल करते हुए ही इस चबूतरे से साज़ छेड़े जाएंगे ।
चित्र साभार फ्लिकरमेहदी हसन साहब को मैंने तब पहली बार जाना और सुना जब मैं स्कूल में हुआ करता था । एक दोस्त ने कैसेट की शक्ल में एक ऐसी आवाज़ मुझे दे दी, जिसने जिंदगी की खुशनसीबी को कुछ और बढ़ा दिया । उसके बाद मेहदी हसन को सुनने के लिए मैं शाम चार बजे के आसपास अपने रेडियो पर शॉर्टवेव पर रेडियो पाकिस्तान की विदेश सेवा को ट्यून किया जाने लगा । उस समय अकसर पाकिस्तानी फिल्मों के गाने सुनवाए जाते थे । ये गाना पहली बार मैंने तभी सुना था । उसके बाद फिर भोपाल में मैग्नासाउंड पर निकला एक कैसेट हाथ लगा जिसमें उस्ताद जी के पाकिस्तानी फिल्मों के गाए गाने थे । और हाल ही में मुंबई में एक सी.डी. हाथ लग गयी जिसमें उस्ताद जी के कई फिल्मी गीत हैं साथ ही ग़ज़लें भी ।
तो आईये सुख़नसाज़ पर अपने प्रिय गायक, दुनिया के एक रोशन चराग़, ग़ज़लों की दुनिया के शहंशाह उस्ताद मेहदी हसन का गाया एक फिल्मी गीत सुना जाए । आपको बता दें कि ये सन 1976 में आई पाकिस्तानी फिल्म 'फूल और शोले' का गाना है । इसके मुख्य कलाकार थे ज़ेबा और मोहम्मद अली । मुझे सिर्फ़ इतना पता चल सका है कि इस फिल्म के संगीतकार मुहम्मद अशरफ़ थे । अशरफ़ साहब ने मेहदी हसन के कुल 124 गाने स्वरबद्ध किए हैं ।
मैं जब भी इस गाने को सुनता हूं यूं लगता है मानो को दरवेश, कोई फ़कीर गांव के बच्चों को सिखा रहा है कि दुनिया में कैसे जिया जाता है । नैतिकता का रास्ता कौन सा है । हालांकि नैतिक शिक्षा के ये वो पाठ हैं जिन्हें हम बचपन से सुनते आ रहे हैं । पर जब इन्हें उस्ताद मेहदी हसन की आवाज़ मिलती है तो यही पाठ नायाब बन जाता है । अशरफ साहब ने इस गाने में गिटार और बांसुरी की वो तान रखी है कि दिल अश अश कर उठता है । तो सुकून के साथ सुनिए सुखनसाज़ की ये पेशक़श ।
अच्छी बात कहो, अच्छी बात सुनो,
अच्छाई करो, ऐसे जियो
चाहे ये दुनिया बुराई करे
तुम ना बुराई करो ।।
दुख जो औरों के लेते हैं
मर के भी जिंदा रहते हैं
आ नहीं सकतीं उसपे बलाएं
लेता है जो सबकी दुआएं
अपने हों या बेगाने हों
सबसे भलाई करो ।। अच्छी बात करो ।।
चीज़ बुरी होती है लड़ाई
होता है अंजाम तबाही
प्यार से तुम सबको अपना लो
दुश्मन को भी दोस्त बना लो
भटके हुए इंसानों की तुम
राहनुमाई करो ।। अच्छी बात करो ।।
सुखनसाज़ पर उस्ताद मेहदी हसन के फिल्मी गीतों और उनके लिए दुआओं का सिलसिला जारी रहेगा ।
5 comments:
बड़ी अच्छी बात है.
और आपकी यह पेशकश
ख़ुद एक रोशन चराग है.
बधाई ===============
डा.चन्द्रकुमार जैन
ख़ुश आमदीद! यूनुस भाई. कमाल है आपका.
आपका स्वागत है!! वाह क्या लिखते है आप..
यह बात खूब लिखी आपने की सुखनसाज़ी के लिये आपने कुछ पैमाने तय किये है. शऊर की बात है, यही संस्कृति है.
आपकी कॆसेट में यह गाना होगा? -
कैसे कैसे लोग हमारे दिल को जलाने आ जाते है,
अपने अपने गम के फ़साने हमें सुनाने आ जाते है..
बहोत पहले मेरे हाथ में भी भोपाल में इस जैसी कॆसेट आयी थी, मगर उस में आज की पोस्ट का गीत नही था.
क्या सुनवा सकेंगे?
अशोक भाई,
मेराज़-ए- गज़ल को भी चलने दिजिये. दिली सुकून का आलम चलता रहे, खान साहब की उम्र में इज़ाफ़ा होता रहे.
बेहतरीन..आभार.
युनुस भाई ... ये हुई न बात .... अब आएगा मज़ा .... ख़ुश आमदीद! !!! बहुत से गाने सुनने हैं आप से, तैयार रहिये ....
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