"सखी !!"
मेरा जो कुछ है, सब "सखी" का है इस लिए आगाज़ इसी नाम से करता हूँ :
आज पहली बार यहाँ कुछ सुनाने की जुर्रत कर रहा हूँ .... इस लिए क्या कहूँ .... आज मेरी पसंद पे अख्तरी बाई "फैज़ाबादी" की आवाज़ में ये ग़ज़ल पेश है ...... मैं आज भी लाख कुछ भी, किसी को भी सुन लूँ, इस आवाज़, और इस अंदाज़ का जादू मुझ पे हमेशा की तरह तारी है ... शायद हमेशा रहेगा .....
एक छोटी सी ग़ज़ल पेश है :
ख़ुदा की शान है हम यूँ जलाए जाते हैं
हमारे सामने दुश्मन बुलाए जाते हैं
हमारे सामने हँस हँस के गै़र से मिलना
ये ही तो ज़ख्म कलेजे को खाए जाते हैं
हमारी बज़्म और उस बज़्म में है फर्क इतना
यहाँ चिराग़ वहाँ दिल जलाए जाते हैं
'राह देखा करेगा सदियों तक छोड़ जाएँगे ये जहाँ तन्हा’ : मीना कुमारी की याद
में
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मीना आपा के भीतर कोई चंचल-शोख़ और मन की उड़ान भरती कोई बेफिक्र लड़की रही
होगी...शायद कभी...क्या पता।
पर उनके जीवन पर उदासी का ग्रहण इतना गहरा था कि व...
2 years ago
11 comments:
अजब ग़ज़ब अमिताभ भाई. पहली एन्ट्री ली आपने और क्या कर डाला. और आख़ीर में अम्मा क्या कहती हैं कि मेरा नाम .... ना, नाम न लूंगा, कुफ़्र होगा ऐसे बोलने की हिमाकत करना. सुख़नसाज़ पे आपका ख़ैरमक्दम कल करूंगा इत्मीनान से. अभी दुबारा सुन लूं.
शुक्रिया जनाब-ए-आला.
यहाँ प्रस्तुत करने का आभार. आनन्द आ गया.बहुत आभार.
वाक़ई शानदार आमद। बहुत अच्छा सुनना। अभी और सुनना होगा।
शुक्रिया मीत जी, सुनाने का आभार, धन्यावाद।
आप का ब्लॉग बहुत अच्छा लगा .. आप का शुक्रिया मैं चाहता हूँ के में जब भी नेट में आऊं तो आप का ब्लाग देखू आप किसी तरह अपने ब्लॉग को साथ में जोड़े ..मैं आप का आभारी रहूँगा ..
bahut khub
वाह !!!
सचमुच जबरदस्त एंट्री है ...
उम्दा प्रस्तुति
आभार इसे प्रस्तुत करने का.
बेहतरीन...एक ऐसा एहसास जिसे लफ्जों में बयां करना मुश्किल है...
नीरज
bahut khuub--aabhaar
मीत भाई,
टीप में जाती ये बेसाख़्ता आवाज़.हाय कैसी कटार सी घुस जाती है कलेजे में . बेसबब आवाज़ में लगती वो पत्ती....जैसे क़लाम में घुस कर उसकी रूह को हम जैसे दुष्टों के लिये निकाल लातीं हैं.
सुखनसाज़ मे एक नया मीत
कुछ और सुरीली हो उठी ग़ज़ल से प्रीत
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