Monday, August 4, 2008

मेरी आहों में असर है के नहीं देख तो लूँ

उस्ताद मेहंदी हसन ग़ज़ल के सुमेरू हैं। जब जब भी सुख़नसाज़ पर ख़ॉं साहब तशरीफ़ लाएँ हैं हमने महसूस किया है कि ग़ज़ल का परचम सुरीला हो उठा है। इन दिनों अशोक भाई के साथ जारी मेहंदी हसन साहब की ग़ज़लों का ये महोत्सव दरअसल इस महान गुलूकार के प्रति हमारी भावभीनी आदरांजली है। पूरी दुनिया जानती है कि ख़ॉं साहब की तबियत नासाज़ है और वे कराची के एक अस्पताल में आराम फ़रमा रहे हैं। हमने देखा है न कि जब भी घर में कोई बीमार होता है तो हम हर तरह के इलाज के लिये यहॉं-वहॉं भागते हैं। सुख़नसाज़ पर ग़ज़लों का ये सिलसिला जैसे हमारे दिलों में दुआओं का सैलाब लेकर ख़ॉं साहब की ग़ज़लों के ठौर का सफ़र कर रही हैं। गोया दुआ मॉंग रहे हैं हम सब कि हमारे मेहंदी हसन साहब चुस्त और तंदरुस्त होकर घर लौटें।

आज सुख़नसाज़ पर पेश की जा रही ये ग़ज़ल मेहंदी हसन घराने के रिवायती अंदाज़ की बेहतरीन बानगी है। पहले भी कई बार कह चुका हूँ और दोहराने में कोई हर्ज़ नहीं कि मेहंदी हसन इंडियन सब-कांटिनेंट की ग़ज़ल युनिवर्सिटी हैं और हम सब सुनने वाले, गाने-बजाने वाले, लिखने-पढ़ने वाले इस युनिवर्सिटी के तालिब-ए-इल्म हैं। मौसीक़ी के सारे सबक़ मेहंदी हसन साहब के यहॉं पसरे पड़े हैं। आप जो चाहें सीख लें, साथ ले जाएँ। गायकी की सादगी, पोएट्री की समझ, बंदिश में एक ठसकेदार रवानी और कंपोजिशन का बेमिसाल तेवर.

तो चलिये एक बार फ़िर मुलाहिज़ा फ़रमाइये उस्ताद मेहंदी हसन साहब की ये बेजोड़ बंदिश


मेरी आहों में असर है के नहीं देख तो लूँ
उसको कुछ मेरी ख़बर है के नहीं देख तो लूँ


5 comments:

Udan Tashtari said...

आनन्द आ गया.

ravishndtv said...

देख भी लिया, सुन भी लिया। मज़ा आ गया। बाहर बारिश हो रही है और अंदर मेहंदी हसन की आवाज़।

Yunus Khan said...

मेहदी हसन हमारे खुदा हैं । हमारे गुरू हैं । जीने की एक जरूरी वजह हैं मेहदी हसन । खुदा उन्‍हें उम्रदराज करे ।

दिलीप कवठेकर said...

खूबसूरत गज़ल, उससे से बेहतर आपका पोस्ट.

तालिब-ए-इल्म - क्या बात है.

मेहदी जी तो एक युनिवर्सिटी है ही, आप कब प्रोफ़ेसर से कम.

यह सम्भव नही हर कोइ खां सहाब के गायकी की बारीकियों के भीतर डूबे, या समझे. समय भी लग सकता है. मगर आप की समझाईश से (संजय भई की भी) यह काम आसां हो जाता है . शुक्रिया,

Dr. Chandra Kumar Jain said...

इस दुआ में हमें
शामिल करने का शुक्रिया.
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डा.चन्द्रकुमार जैन