दोस्तो संगीत का कोई ज्ञान नहीं है मुझे .... दो कौड़ी का नहीं. बस लत है सुनने की ...
और जब इक़बाल बानो की आवाज़ में ऐसा कुछ हो ... तो लगता है कि कुछ और लोग भी सुनें.
तो आज सुनिए ये ग़ज़ब .... "बिछुआ बाजे रे ... ओ बलम...............".
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'राह देखा करेगा सदियों तक छोड़ जाएँगे ये जहाँ तन्हा’ : मीना कुमारी की याद
में
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मीना आपा के भीतर कोई चंचल-शोख़ और मन की उड़ान भरती कोई बेफिक्र लड़की रही
होगी...शायद कभी...क्या पता।
पर उनके जीवन पर उदासी का ग्रहण इतना गहरा था कि व...
2 years ago
6 comments:
बहुत पहले आए एक कैसेट में सुनी थी यह कम्पोज़ीशन भाई! उसी में यह वाली भी थी ना - "मुद्दत हुई है यार को मेहमां किये हुए ..."?
पुराने दिन, पुरानी यादें सब याद कराने का अहसान साब. बहुत बढ़िया.
इकबाल आपा जैसी गुलूकारा को सुनता हूँ मीत भैया/अशोक भैया तो लगता कि ये लोग किसी ख़ास मकसद के लिये इस धरती पर आये थे.अब जितना संगीत मैं समझता हूँ उसके बूते पर कह सकता हूँ कि इकबाल बानो की आवाज़ का पिच एक हद तक जाता है यानी एक लिमिटेड रेंज है लेकिन जिस तरह वे गाने को वे इंजाय करती हैं वैसी कोई दूसरी गुलूकारा नहीं कर पाती.ये वैसा ही मामला है जैसा हमारे मालवा के गान-अवधूत कुमार गंधर्व का. वे भी जानते थे अपने गले की हदें लेकिन उस मर्यादा में भी वो जो करिश्मे करते थे वैसा अच्छे अच्छे दम वाले भी न कर पाए.इस गीत में देखिये इकबाल आपा आपको झूमने पर मजबूर कर रही हैं...गोया उनका गला रक़्स भी कर रहा है ....
Not able to listen completely
Got it, Excellent!!
सँजय भाई की बातेँ हरेक कलाकार की खासियत को नवाजती है और गीत भी अलहड सा बहुत भाया !
- लावण्या
aisi late to bani hi rahe.n
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