डॉक्टर रोशन भारती से सुनिये दाग़ देहलवी का क़लाम:
दिल गया, तुमने लिया हम क्या करें
जाने वाली चीज़ का ग़म क्या करें
एक साग़र पर है अपनी ज़िन्दगी
रफ़्ता-रफ़्ता इसे भी कम क्या करें
मामला है आज हुस्न-ओ-इश्क़ में
देखिये वो क्या करें, हम क्या करें
(एक निवेदन: आख़िरी शेर की दूसरी पंक्ति में एकाध अल्फ़ाज़ समझ में नहीं आ रहे हैं:
आईना है और वो हैं देखिये
फ़ैसला दोनों ... हम क्या करें
यदि आप में से किसी को इस की जानकारी हो तो अवश्य दें. धन्यवाद.)
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में
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होगी...शायद कभी...क्या पता।
पर उनके जीवन पर उदासी का ग्रहण इतना गहरा था कि व...
2 years ago
8 comments:
हमारे पास जो शेर हैं इस गज़ल के-उसमें यह आखिरी वाला तो है ही नहीं:
दिल गया तुम ने लिया हम क्या करें
जानेवाली चीज़ का ग़म क्या करें
पूरे होंगे अपने अरमां किस तरह
शौक़ बेहद वक्त है कम क्या करें
बक्श दें प्यार की गुस्ताख़ियां
दिल ही क़ाबू में नहीं हम क्या करें
तुंद ख़ू है कब सुने वो दिल की बात
ओर भी बरहम को बरहम क्या करें
एक सागर पर है अपनी जिन्दगी
रफ्ता- रफ्ता इस से भी कम क्या करें
कर चुको सब अपनी-अपनी हिकमतें
दम निकलता है ऐ मेरे हमदम क्या करें
दिल ने सीखा शेवा-ए-बेगानगी
ऐसे नामुहिरम को मुहिरम क्या करें
मामला है आज हुस्न-ओ-इश्क़ का
देखिए वो क्या करें हम क्या करें
कह रहे हैं अहल-ए-सिफ़ारिश मुझसे 'दाग़'
तेरी किस्मत है बुरी हम क्या करें
--सुनकर अच्छा लगा.
अशोक भाई, वह शेर यों है कि-
'आईना है और वो हैं देखिये
फ़ैसला दोनों ये बाहम क्या करें.'
बाहम यानी साथ में.
एक और शेर जिसमें आपने मामला लिखा है और टिप्पणी में समीर भाई ने भी, वह मामला नहीं मूल में 'मारिका' है. मारिका माने संघर्ष.
शेर यों है-
मारिका है आज हुस्न-ओ-इश्क़ में
देखिये वो क्या करें, हम क्या करें
वैसे प्रस्तुति उम्दा है. बधाई!
badhiyaa..bahut badhiyaa
अशोक भाई;
जल्द ही रोशन भाई से बात कर के ज़रूर खु़लासा करेंगे .रोशन भाई कोटा के वासी हैं और मेहंदी हसन साहब के ख़ासे मुरीद हैं.उनकी गायकी पर मेहंदी हसन साहब का क्लासिकी अंदाज़ तारी रहता है. रोशन भाई के दादा हुज़ूर जमाल सेन साहब मरहूम ही जगजीतसिंहजी के उस्ताद रहे हैं.रोशन भाई का एक एलबम टाइम्स म्युज़िक से आया था और शायद उन्होंने उसमें दाग़ को गाया था. बेहद सादा तबियत के रोशन भाई इन दिनों मुम्बई में संघर्षरत हैं और समय ने साथ दिया तो ये आवाज़ देश की एक जानी पहचानी आवाज़ होगी.रोशन भाई के एक दो कबीरी पद भी लाजवाब गाए हैं.देखते हैं उनकी आवाज़ कब ब्लॉग-बिरादरी पर जलवागर होती है.
वाह भाई. मज़ा आ गया.
..आनँद आ गया ..
बेहतरीन गायकी ..
सुनवाने का शुक्रिया !
- लावण्या
विजय भाई, संजय भाई, समीर भाई,
मुझ ग़रीब की मदद करने का शुक्रिया.
आज तो संजय भाई के सौजन्य से डॉक्टर रोशन भारती का फ़ोन तक मुझे आ गया. क्या विनम्र इन्सान हैं. उन्होंने तो फ़ोन पर ही एक शेर तक गा के सुना दिया. दिल अजीब सी ख़ुशी से सन्न है.
आप ही सब लोग ज़िन्दगी को मानी देते हैं दोस्तो! कैसे आभार कहूं.
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