मेहदी हसन साब का अपेक्षाकृत बाद का अलबम है 'कहना उसे'. इसमें उन्होंने मशहूर पाकिस्तानी शायर फ़रहत शहज़ाद की चुनिन्दा ग़ज़लें गाई हैं. ये ग़ज़लें सतह पर मोहब्बत-ओ-आशिक़ी की रचनाएं लगती हैं पर सच्चाई यह है कि ये सारी की सारी बेहद सजग राजनैतिक ग़ज़लें हैं. तत्कालीन फ़ौजी शासक ज़िया-उल-हक़ की ख़िलाफ़त में लिखी गईं ये रचनाएं आज एक तारीख़ी अहमियत रखती हैं. बादशाह-ए-ग़ज़ल मेहदी हसन ने इन्हें उस वक़्त गाते वक़्त बहुत बड़ा जोख़िम भी लिया था. आप ही सुनिये कैसे अपनी बात को बयान करने को शायरी क्या-क्या, कैसे-कैसे रंग ले सकती है:
तन्हा तन्हा मत सोचा कर
मर जाएगा मत सोचा कर
प्यार घड़ी भर का ही बहुत है
झूठा सच्चा मत सोचा कर
जिसकी फ़ितरत ही डसना हो
वो तो डसेगा मत सोचा कर
धूप में तन्हा कर जाता है
क्यों ये साया मत सोचा कर
अपना आप गंवा कर तू ने
पाया है क्या मत सोचा कर
मान मेरे शहज़ाद वगरना
पछताएगा मत सोचा कर
'राह देखा करेगा सदियों तक छोड़ जाएँगे ये जहाँ तन्हा’ : मीना कुमारी की याद
में
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मीना आपा के भीतर कोई चंचल-शोख़ और मन की उड़ान भरती कोई बेफिक्र लड़की रही
होगी...शायद कभी...क्या पता।
पर उनके जीवन पर उदासी का ग्रहण इतना गहरा था कि व...
2 years ago
12 comments:
आभार फ़रहत शहज़ाद की गज़ल पढ़वाने का.
bahut dino baad suni ye ghazal....meri pasandeeda ghazlon mein se ek hai. shukriya ...
आपका ये ब्लॉग आज ही देखा. काफ़ी पहले मैंने भी इसी विषय पर एक ब्लॉग शुरू किया था. चालू नहीं रख पाया. आपका ब्लॉग देखकर वो अफ़सोस कुछ कम हुआ.
मेरी कार लायब्रेरी का खूबसूरत एलबम।
बहुत खूब, मज़ा आ गया
भाई V9y (आपका असली नाम मालूम नहीं सो रिस्क नहीं ले रहा ... मान लिया आप 'विनय' नहीं हुए तो!),क्या आपके पास 'फिर सावन रुत की पवन चली' एम पी थ्री फ़ॉर्मेट में है. हां तो क्या मुझे मेल कर सकेंगे ashokpande29@gmail.com पर? मेहरबानी होगी.
उड़नतश्तरी जी, पल्लवी जी, दिनेश जी आप सभों का बहुत आभार.
एक के बाद एक क़ीमती नगीना....लगता है जैसे किसी ख़ज़ाने का मुंह खोल दिया है आपने। आज पूरी रात के लिए क्या शानदार चीजे हैं, और इधर आर्ट ऑफ रीडिंग में भी आज कमाल ही हो गया है। शुक्रिया
बेहद खूबसूरत गजल।
मेहँदी हसन साब की तो बात ही निराली है।
अशोक जी,आपने जो बेकल उत्साही की ग़ज़ल सुनवाई उसे पुन: सुनकर पिछले वर्ष एक मित्र के ( उर्दू कविता प्रेमी )पिता जी से शायर के बारे में सुने विवरण याद हो आए | आज फ़रहत शहज़ाद के बारे में आपने जो लिखा उससे उनके बारे में जाननें की जिज्ञासा हो उठी | इनकी कविता ने और भी कई बार ध्यान आकर्षित किया है| कभी ज़्यादा विस्तार में बतायें|
mar jayega mar jayega mat soncha kar,tanha tanha mat soncha kar...
bahot hi umda ghazal upar se is mahan hasti ki makhmali aawaz me bahot aabhar hun aapka dhero badhai aapko........
pata nahi ye ghazal kiti bar sun chuka hun... dhero aabhar aapka..
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