जल भी चुके परवाने
हो भी चुकी रुसवाई
अब ख़ाक उड़ाने को
बैठे है तमाशाई
तारों की ज़िया दिल
में इक आग लगाती है
आराम से रातों को
सोते नहीं सौदाई
रातों की उदासी
में ख़ामोश है दिल मेरा
बेहिस हैं
तमन्नाएं नींद आई के मौत आई
अब दिल को किसी
करवट आराम नहीं मिलता
इक उम्र का रोना
है दो दिन की शनासाई
2 comments:
बहुत सुन्दर .
रातों की उदासी में ख़ामोश है दिल मेरा
बेहिस हैं तमन्नाएं नींद आई के मौत आई
अब दिल को किसी करवट आराम नहीं मिलता
इक उम्र का रोना है दो दिन की शनासाई
वाह उस्ताद क्या खुब गाया है। आपने
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