वो दिलनवाज़ है
लेकिन नज़रशनास नहीं
मेरा इलाज मेरे
चारागर के पास नहीं
कभी कभी जि तेरे
क़ुर्ब में गुज़ारे थे
अब उन दिनों का
तसव्वुर भी मेरे पास नहीं
गुज़र रहे हैं अजब
मरहलों से दीदा-ओ-दिल
सहर की आस तो है,
ज़िन्दगी की आस नहीं
मुझे ये डर है
तेरी आरज़ू न मिट जाए
बहुत दिनों से
तबीयत मेरी उदास नहीं
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❤️
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