सूरज उभरा चन्दा डूबा, लौट आई फिर शाम,
शाम हुई फिर याद आया, इक भूला बिसरा नाम
कुछ भी लिख पाने की ताब नहीं फ़िलहाल. ज़रा देखिये उस्ताद मेहदी हसन ख़ान साहब क्या गा रहे हैं:
'राह देखा करेगा सदियों तक छोड़ जाएँगे ये जहाँ तन्हा’ : मीना कुमारी की याद
में
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मीना आपा के भीतर कोई चंचल-शोख़ और मन की उड़ान भरती कोई बेफिक्र लड़की रही
होगी...शायद कभी...क्या पता।
पर उनके जीवन पर उदासी का ग्रहण इतना गहरा था कि व...
1 year ago
6 comments:
मेंहदी हसन साहब को सुन कर तबीयत मस्त हो गई.आपका आभार.
bahut sundar
मेहंदी हसन साहब.....लाजवाब हर बार की तरह
बहुत सुन्दर सुनवाने के लिये शुक्रिया
आप आये तो दिले नाशाद याद आया,
आपका स्वागत, और खां साहब के लिये आपकी तडप को सलाम
नववर्ष की शुभकामनाएँ
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