Tuesday, May 26, 2009

जब भी आती है तेरी याद कभी शाम के बाद

उर्दू के शायर कृष्ण 'अदीब' साहब का जन्म जालंधर ज़िले में २१ नवम्बर १९२५ को हुआ था. पन्द्रह साल की आयु में घर छोड़ने पर विवश हुए - कुलीगिरी की, फ़ैक्ट्री में मज़दूर रहे.अपने जीवन का ज़्यादातर समय उन्होंने लुधियाना में बिताया. पंजाब कृषि विश्वविद्यालय में वरिष्ठ फ़ोटोग्राफ़र के तौर पर काम करने के बाद वे १९८५ में रिटायर हुए. लम्बी बीमारी और आर्थिक कमी के चलते ७ जुलाई १९९५ को उनकी मृत्यु हुई. 'अदीब' साहब की मुख्य किताबों में 'आवाज़ की परछाइयां', 'फूल, पत्ते और ख़ुशबू' और 'रौ में है रख्शे उम्र' प्रमुख हैं.



आज उनकी जो ग़ज़ल आप सुनने जा रहे हैं, उसे जगजीत सिंह ने भी गाया और भारत भर में लोकप्रिय बनाया. मैं आपको यही ग़ज़ल बाबा मेहदी हसन ख़ान साहेब की आवाज़ में सुनाता हूं. इस प्रस्तुति में खान साहेब ने वे शेर भी गाए हैं जिन्हें जगजीत सिंह ने नहीं गाया था.




जब भी आती है तेरी याद कभी शाम के बाद
और बढ़ जाती है अफसुर्दा-दिली शाम के बाद

अब इरादों पे भरोसा है ना तौबा पे यकीं
मुझ को ले जाये कहाँ तश्ना-लबी शाम के बाद

यूँ तो हर लम्हा तेरी याद का बोझल गुज़रा
दिल को महसूस हु‌ई तेरी कमी शाम के बाद

मैं घोल रंगत-ए-रोशन करता हूं बयाबानी
वरना डस जाएगी ये तीरा-शबी शाम के बाद

दिल धड़कने की सदा थी कि तेरे कदमों की
किसकी आवाज़ सर-ए-जाम शाम के बाद

यूँ तो कुछ शाम से पहले भी उदासी थी 'अदीब'
अब तो कुछ और बढ़ी दिल की लगी शाम के बाद

डाउनलोड यहां से करें:
जब भी आती है तेरी याद कभी शाम के बाद

अदीब साहब की एक ग़ज़ल यहां भी सुनें: तल्ख़ि-ए-मै में ज़रा तल्ख़ि-ए-दिल भी घोलें

8 comments:

लोकेन्द्र विक्रम सिंह said...

बहुत-बहुत धन्यवाद........
इतनी सुन्दर गजल सुनाने के लिए..........

दिलीप कवठेकर said...

हम कैसे शुक्रिया अदा करें आपका, कि आपने फ़िर इतने दिनों बाद इतनी बढि़या गज़ल सुनवाई, और डाउन्लोड कराने का भी ओप्शन रखा.

यूंही आते रहें, और हमारे दिलों में खां साहब के अकूत खज़ाने में से हीरे मोती की मानींद इन सुरीले गीतों को बसाते रहें...

महेन्द्र मिश्र said...

बहुत बढ़िया गजल लगी. धन्यवाद.

Udan Tashtari said...

बहुत बहुत आभार इस गज़ल को सुनवाने का.

दिगम्बर नासवा said...

शुक्रिया इतनी लाजवाब ग़ज़ल सुनवाने के लिए............

Smart Indian said...

बहुत सुन्दर. धन्यवाद!

Unknown said...

धन्यवाद अशोक भाई.
शायर कृष्ण अदीब के जीवन परिचय पर कोई किताब हो तो उसकी सूचना कृपया प्रदान करें |
और हाँ, रफी साहब की गाई हुई ( अदीब की लिखी ) ग़ज़ल भी सुनी जाए |

Unknown said...

बेहतरीन ग़ज़ल .... वाह