मुख़्तसर सी ये ग़ज़ल क़तील शिफ़ाई ने कही थी और उस्ताद मेहंदी हसन साहब ने इसे अपनी लाजवाब गुलूकारी से नवाज़ा.कुछ बंदिशें ऐसी हो जाती हैं कि उन पर वाचालता शोभा नहीं देती..लिहाज़ा मुलाहिज़ा फ़रमाएँ ये ग़ज़ल....
'राह देखा करेगा सदियों तक छोड़ जाएँगे ये जहाँ तन्हा’ : मीना कुमारी की याद
में
-
मीना आपा के भीतर कोई चंचल-शोख़ और मन की उड़ान भरती कोई बेफिक्र लड़की रही
होगी...शायद कभी...क्या पता।
पर उनके जीवन पर उदासी का ग्रहण इतना गहरा था कि व...
2 years ago