कोई बीसेक साल पहले आए अल्बम ‘सजदा’ ने ख़ासी लोकप्रियता हासिल की थी. शाहिद कबीर की लिखी एक ग़ज़ल लता मंगेशकर और जगजीत सिंह ने साथ ग़ा कर मशहूर की थी. आज सुख़नसाज़ यही पेश करता है आपके वास्ते –
ग़म का ख़ज़ाना तेरा
भी है मेरा भी
ते नज़राना तेरा भी
है मेरा भी
अपने ग़म को गीत
बना कर ग़ा लेना
राग पुराना तेरा
भी है मेरा भी
तू मुझको और मैं
तुझको समझाऊँ क्या
दिल दीवाना तेरा
भी है मेरा भी
शहर में गलियों
गलियों जिसका चर्चा है
वो अफ़साना तेरा भी
है मेरा भी
मैख़ाने की बात न
कर वाइज़ मुझसे
आना जान तेरा भी है मेरा भी
1 comments:
सुन्दर गजल है
मेरी फेवरेट.....
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