Thursday, September 6, 2012

रोशन उसी के दम से था बुझता हुआ दिया


१९७० में पाकिस्तान में रिलीज़ हुई फिल्म ‘अनजान’ में मंज़ूर अशरफ़ के संगीत निर्देशन में उस्ताद मेहदी हसन ने मसरूर अनवर का लिखा एक गीत गाया था.

यहाँ एक महफ़िल में उस्ताद इस गीत को किस क्लासिकल अंदाज़ में पेश कर रहे हैं, गौर फरमाइए –




अपनों ने ग़म दिया तो मुझे याद आ गया
एक अजनबी जो गैर था और ग़मगुसार था

वो साथ थ तो दुनिया के ग़म दिल से दूर थे
खुशियों को साथ ले के न जाने कहाँ गया

दुनिया समझ रही है जुदा मुझ से हो गया
नज़रों से दूर जा के भी दिल से न जा सका

अब ज़िंदगी की कोई तमन्ना नहीं मुझे
रोशन उसी के दम से था बुझता हुआ दिया