tag:blogger.com,1999:blog-2629665781862382051.post590628983151883107..comments2023-08-09T19:46:00.786+05:30Comments on सुख़नसाज़: तेरी महफ़िल में लेकिन हम न होंगेAshok Pandehttp://www.blogger.com/profile/03581812032169531479noreply@blogger.comBlogger7125tag:blogger.com,1999:blog-2629665781862382051.post-22876552698886857362008-07-20T19:41:00.000+05:302008-07-20T19:41:00.000+05:30jitni duffa suni jaaye kum hai...shukriyaajitni duffa suni jaaye kum hai...shukriyaaपारुल "पुखराज"https://www.blogger.com/profile/05288809810207602336noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2629665781862382051.post-37109532348582301152008-07-19T18:36:00.000+05:302008-07-19T18:36:00.000+05:30फिर वही याद और वही नोस्टेल्जिया.. आपकी मेहफिल मे ह...फिर वही याद और वही नोस्टेल्जिया.. <BR/><BR/>आपकी मेहफिल मे हम तो ज़रूर होन्गे. भाई सन्जय ने आपके दर का पता क्या दे दिया, उन पर एह्सान और आप पर भी.<BR/><BR/>कुछ बाते याद करने और कराने का सिलसिला .. दिली सुकून के लिये बहाना...<BR/><BR/>यह गज़ल एक private concert मे खान साहब ने गायी थी, उसकी केसेट मुझे मेरे एक मित्र आनन्द पुरोहित ने सन १९७५ मे दी थी, जो उन्हे किसी प्रेमी ने दी थी यह कह कर दी, की जब सन १९७१ मे भारतीय सेना का कोई जवान अफ़सर पाकिस्तान की खूफ़िया जासूसी पर गया था तो उठा लाया था.<BR/><BR/>बात मे कितना दम है यह तो नही कह सकता, मगर यह ज़रूर है कि आनन्दभाई ने यह गज़ल तीन चार साल से सुन रखी थी. इस लिये, सन्जय भाई की बात की पुष्टि होती है.मगर सुना गया है की इस गज़ल को किसी फ़िल्म मे भी गाया गया था, सन १९६० के करीब. कोइ प्रेमी और प्रकाश डाले तो मेहरबानी.<BR/><BR/>जो भी हो, बात उनकी आवाज़ की ही नही बल्कि हार्मोनियम पर पडती उनकी उन्गलीयो का जादु से भी सन्जय भाई की पोस्ट के मार्फ़त हम रूबरू हुए.<BR/><BR/>एक बात और. अब आप तबले का कमाल भी देखिये. अमूमन , मेहदी जी की गज़ल मे आप को मिलेगा ही. जब गाते हुए, अन्तरे से स्थाई पर आते है तो सुनियेगा, तबला दुगन मे, फिर चौगन मे , और कही कही अठ्गुन मे बजता है और सम पर आते ही तिहाई पर खत्म होता है, जिससे लयकारी के जादु का लुत्फ़ भी लिया जा सक्ता है.<BR/>मेरे पास जो रिकार्डिन्ग थी(थी) उसमे तो १६ गुना के आवर्तन मे भी तबला बजाया गया था, जो गाने मे और चार चान्द लगाता था. <BR/><BR/>उसी मेह्फ़िल मे एक और गज़ल गाई गयी थी, <BR/><BR/>जिनके होटो पे हसी पावो मे छाले होन्गे,<BR/>हा वही लोग तुम्हे ढून्ढने वाले होन्गे---दिलीप कवठेकरhttps://www.blogger.com/profile/16914401637974138889noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2629665781862382051.post-62866153621149975542008-07-19T10:19:00.000+05:302008-07-19T10:19:00.000+05:30चचा सिद्धेश्वर,आप अपने नेट कनेक्शन का पेंचर चेक कर...चचा सिद्धेश्वर,<BR/><BR/>आप अपने नेट कनेक्शन का पेंचर चेक करो! मेरे हियां तो सब बज रहा है.Ashok Pandehttps://www.blogger.com/profile/03581812032169531479noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2629665781862382051.post-1768763991971996902008-07-19T09:50:00.000+05:302008-07-19T09:50:00.000+05:30baboo ji je to baj na riyaa hai. je hi kyaa koi bh...baboo ji je to baj na riyaa hai. je hi kyaa koi bhi na baj riya hai. marammat kar len saab!siddheshwar singhhttps://www.blogger.com/profile/06227614100134307670noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2629665781862382051.post-77498268129844982302008-07-19T08:46:00.000+05:302008-07-19T08:46:00.000+05:30प्यारे अशोक भाई की इस पोस्ट को जब सुनें तो गुज़ारिश...प्यारे अशोक भाई की इस पोस्ट को जब सुनें तो गुज़ारिश है आपसे.<BR/><BR/>एक:मेहंदी हसन साहब को सुनें ही साथ ही हारमोनियम पर संगति दे रहे सिध्दहस्त मेहंदी हसन को भी ध्यान से सुनें.ये इसरार इसलिये कि सत्तर-अस्सी के दशक की संधि बेला में बनी इस बंदिश के समय चीज़ें सिंथेटिक नहीं थीं.आज न जाने क्या क्या बज रहा है ग़ज़ल के साथ उसका ज़िक्र कर मैं आपके कानों को बेसुरा नहीं करना चाहता.<BR/><BR/>दो:मेहंदी हसन साहब क्लासिकल मूसीकी के हामी थे.जब इस ग़ज़ल को सुनें तो एक और बात पर ध्यान दें वे इंटरल्यूड़ के बीच तबला संगतकार को किस सह्र्दयता से स्पेस दे रहे हैं.कहीं अपने को ही स्थापित करने की बेसब्री नहीं है.<BR/><BR/>अस्पताल में स्वास्थ्य लाभ ले रहे मेहंदी हसन साहब तक हमारी दुआएँ पहुँचे इस पोस्ट के ज़रिये....वाक़ई ...मोहब्बत करने वाले कम न होंगे.sanjay patelhttps://www.blogger.com/profile/08020352083312851052noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2629665781862382051.post-30194840427845617942008-07-18T22:13:00.000+05:302008-07-18T22:13:00.000+05:30बेहतरीन गज़ल सुनवाने का आभार.बेहतरीन गज़ल सुनवाने का आभार.Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2629665781862382051.post-26213096217859797742008-07-18T14:56:00.000+05:302008-07-18T14:56:00.000+05:30बढिया गजल सुनवाई।आभार।बढिया गजल सुनवाई।आभार।परमजीत सिहँ बालीhttps://www.blogger.com/profile/01811121663402170102noreply@blogger.com