tag:blogger.com,1999:blog-2629665781862382051.post5436116379857658339..comments2023-08-09T19:46:00.786+05:30Comments on सुख़नसाज़: कैसे तैयार हुई "कू-ब-कू फैल गई बात शनासाई की"Ashok Pandehttp://www.blogger.com/profile/03581812032169531479noreply@blogger.comBlogger4125tag:blogger.com,1999:blog-2629665781862382051.post-1233842891033904492008-10-10T23:51:00.000+05:302008-10-10T23:51:00.000+05:30वैसे तो हैं दुनिया में सुख़नवर बहुत अच्छेकहते हैं ...वैसे तो हैं दुनिया में सुख़नवर बहुत अच्छे<BR/>कहते हैं के ग़ालिब का है अंदाजेबयां और।<BR/><BR/>यह बात मेहंदी हसन साहब पर भी लागू होती है।एस. बी. सिंहhttps://www.blogger.com/profile/09126898288010277632noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2629665781862382051.post-1634212889295812802008-10-10T22:46:00.000+05:302008-10-10T22:46:00.000+05:30अनमोल !classical training और आवाज़ तो बेजोड़ हैं ह...अनमोल !<BR/>classical training और आवाज़ तो बेजोड़ हैं ही,गायक का शायरी के प्रति प्रेम, सशक्त ग़ज़ल गायकी को दर्शाता है|Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/12160634726989950280noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2629665781862382051.post-31930980859836048412008-10-10T21:00:00.000+05:302008-10-10T21:00:00.000+05:30एक महान गुलूकार की. मेरे ध्यान मेंऐसे कई गुलूकार ह...एक महान गुलूकार की. मेरे ध्यान में<BR/>ऐसे कई गुलूकार है नए ज़माने के <BR/>जो गाते कम हैं एक्सप्लेन ज़्यादा करते हैं<BR/>ख़ाँ साहब तब ही बोल रहे हैं जब पूछा गया<BR/>है. कई गाने वाले (गाते हुए मज़ाक़ ही कर <BR/>रहे होते हैं)जो मेहंदी हसन साहब की चंद<BR/>ग़ज़लों को रट कर अपने आप को उस्ताद <BR/>समकक्ष समझने लगते हैं जबकि वे ख़ाँ साहब<BR/>की पैर की धूल भी नहीं होते हैं.इस वीडियो को<BR/>देखें तो समझ में आता है कि कितना लम्बा दरिया<BR/>पार कर के कोई मेहंदी हसन बनता है. क्लासिकल <BR/>गायकी,शायरी की समझ और् उसके साथ ज़िन्दगी<BR/>के दीगर कई मरहलों की कैसी गहरी पकड़. ये वीडियो<BR/>एक दस्तावेज़ है ग़ज़ल और् ग़ज़ल गायकी के सबसे<BR/>ऊँचे पाये के फ़नक़ार का. <BR/><BR/>मेहंदी हसन को समझने के लिये कान की नहीं<BR/>दिल की ज़रूरत होती है . क्यों मेहंदी हसन अपने <BR/>समकालीन और् अपने बाद के तमाम गुलूकारों से<BR/>मीलों आगे हैं ; ये बात ये वीडियो देखकर अपने आप समझ में आ जाता है. <BR/><BR/>इतना भी लिख गया सो भी ज़्यादा है क्योंकि<BR/>इसके आगे वाचाल ही कहलाऊँगा.अल्ला हाफ़िज़.संजय पटेलhttps://www.blogger.com/profile/04535969668109446884noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2629665781862382051.post-80802792410644902682008-10-10T20:58:00.000+05:302008-10-10T20:58:00.000+05:30This comment has been removed by the author.संजय पटेलhttps://www.blogger.com/profile/04535969668109446884noreply@blogger.com