tag:blogger.com,1999:blog-2629665781862382051.post4249876108073982868..comments2023-08-09T19:46:00.786+05:30Comments on सुख़नसाज़: दिल भी यारब कई दिये होतेAshok Pandehttp://www.blogger.com/profile/03581812032169531479noreply@blogger.comBlogger3125tag:blogger.com,1999:blog-2629665781862382051.post-26732652912224083842010-09-01T09:59:14.943+05:302010-09-01T09:59:14.943+05:30अगर और जीते रहते, यही इन्तेज़ार होता…
इन्तेज़ार रहेग...अगर और जीते रहते, यही इन्तेज़ार होता…<br />इन्तेज़ार रहेगा, इसी तरह की रस-पगी अगली पोस्ट का……Himanshu Mohanhttps://www.blogger.com/profile/16662169298950506955noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2629665781862382051.post-58880636753512690432010-08-27T13:42:25.534+05:302010-08-27T13:42:25.534+05:30कानों में शहद घोल दिया.बहुत खूब.कानों में शहद घोल दिया.बहुत खूब.sandhyaguptahttps://www.blogger.com/profile/07094357890013539591noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2629665781862382051.post-49036161175726989092010-08-15T11:35:16.078+05:302010-08-15T11:35:16.078+05:30बडे दिनों बाद ये आमद दिलीसुकूं दे गयी.
आते रहिये,...बडे दिनों बाद ये आमद दिलीसुकूं दे गयी.<br /><br />आते रहिये, सुनाते रहिये , और सत्संग का आनंद लेते रहिये, देते रहिये!!<br /><br />सहगल साहब का खास अंदाज़ इस ग़ज़ल में भी दिखाई दे रहा है. उनके गुरु जो भी रहे हों,कई गुणी कला्कारों के गुरु थे वे.दिलीप कवठेकरhttps://www.blogger.com/profile/16914401637974138889noreply@blogger.com