Friday, July 17, 2009

अजीब रंग में अब के बहार गुज़री है

हबीब वली मोहम्मद (जन्म १९२१) विभाजन पूर्व के भारतीय उपमहाद्वीप के प्रमुख लोकप्रिय ग़ज़ल गायकों में थे. एम बी ए की डिग्री लेने के बाद वली मोहम्मद १९४७ में बम्बई जाकर व्यापार करने लगे. दस सालों बाद वे पाकिस्तान चले गए. वहीं उन्होंने बेहद सफल कारोबारी का दर्ज़ा हासिल किया. अब वे कैलिफ़ोर्निया में अपने परिवार के साथ रिटायर्ड ज़िन्दगी बिताते हैं.

बहादुरशाह ज़फ़र की 'लगता नहीं है दिल मेरा' उनकी सबसे विख्यात गज़ल है. भारत में फ़रीदा ख़ानम द्वारा मशहूर की गई 'आज जाने की ज़िद न करो भी उन्होंने अपने अंदाज़ में गाई है.

उस वक़्त के तमाम गायकों की तरह उनकी गायकी पर भी कुन्दनलाल सहगल की शैली का प्रभाव पड़ा. उनका एक तरह का सूफ़ियाना लहज़ा 'बना कर फ़क़ीरों का हम भेस ग़ालिब, तमाशा-ए-अहल-ए-करम देखते हैं' की लगातार याद दिलाता चलता है.

सुख़नसाज़ पर आपको उनकी रचना 'रातें थीं चाँदनी जोबन पे थी बहार' आपको संजय भाई सुनवा चुके हैं. यहां सुनिये उनकी गाई हुई फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ साहब की अतिप्रसिद्ध गज़ल.


तुम आये हो न शब-ए-इन्तेज़ार गुज़री है
तलाश में है सहर, बार बार गुज़री है

वो बात सारे फ़साने में जिसका ज़िक्र न था,
वो बात उन को बहुत नागवार गुज़री है

जुनूं में जितनी भी गुज़री बकार गुज़री है
अगर्चे दिल पे ख़राबी हज़ार गुज़री है

न गुल खिले हैं न उन से मिले, न मै पी है
अजीब रंग में अब के बहार गुज़री है

चमन पे गारत-ए-गुलचीं से जाने क्या गुज़री
कफ़स से आज सबा बेक़रार गुज़री है



(शब-ए-इन्तज़ार: इन्तज़ार की रात, सहर: सुबह, बकार: काम काज के साथ, ग़ारत-ए-गुलचीं: फूलों कलियों की तबाही, कफ़स: पिंजरा, सबा: भोर की हवा)

11 comments:

दिलीप कवठेकर said...

आवाज़ में सहगल जी का प्रभाव ज़रूर है, मगर तरलता, हरकतें अपने आप में मौलिक और श्रेष्ठ है.

एस. बी. सिंह said...

जुनूं में जितनी भी गुज़री बकार गुज़री है
अगर्चे दिल पे ख़राबी हज़ार गुज़री है।

बहुत खूब अशोक भाई ! इस नामुराद जूनून का है इलाज़ कोई ............

Udan Tashtari said...

आनन्द आ गया सुनकर.

विधुल्लता said...

तुम आये हो न शब-ए-इन्तेज़ार गुज़री है
तलाश में है सहर, बार बार गुज़री है
....sundar gajal hai ye..

Harish Joshi said...

wo baat jiska saare fasaane me jikr n tha
wo baat use nagawaar gujri hai ...

wah bahut sundar...

Arvind Mishra said...

मुंह को कलेजा आया सुन कर -मगर उम्दा !

श्रद्धा जैन said...

Yaha aakar man bahut santusht ho jata hai
nayab moti bikhre hue hai
jitna suno utna kam hai

Vinay said...

बहुत बढ़िया, लाजवाब अशआर!

daanish said...

umdaa...
aur meaari....

mubarakbaad .

---MUFLIS---

Unknown said...

bohut khubsurat hai

Unknown said...

Kya in gazlon ko suna bhi ja sakta hai? Agar han to kaise