Monday, September 22, 2008

हमसे अच्छे पवन चकोरे, जो तेरे बालों से खेलें

मेहदी हसन साहब का एक ये मूड भी देखिये. इस रंग के गीत भी खां साहब के यहां इफ़रात में पाये जाते हैं.

इस गीत को पेश करता हुआ मैं अपनी एक गुज़ारिश भी आप के सामने रखता हूं - अगर आप बहुत कलावादी या शुद्धतावादी हैं तो कृपा करें और इस गीत को न सुनें, लेकिन मेहदी हसन को मोहब्बत करते हैं तो पांच मिनट ज़रूर दें. सुनिये "ओ मेरे सांवरे सलोने मेहबूबा"




*आज सुख़नसाज़ के वरिष्ठतम साजिन्दे संजय पटेल का जन्मदिन भी है. यह मीठा गीत में उन्हीं की नज़्र करता हूं.

10 comments:

शिरीष कुमार मौर्य said...

bhai bhot badhiya !

फ़िरदौस ख़ान said...

सुब्हान अल्लाह...

Nitish Raj said...

नई सी आवाज लगी मेरे को लगता नहीं की ये वो ही हैं वैसे ये रूप भी पसंद आया। धन्यवाद

pallavi trivedi said...

bahut umda...

शोभा said...

अशोक जी
बहुत ही सुन्दर गीत सुनवाया है आपने। आभार।

Udan Tashtari said...

सुन्दर गीत सुनवाया..आभार.

रंजन राजन said...

सुन्दर गीत

कनिष्ठा शर्मा said...

अच्छा गीत. बहुत ही सुन्दर.

दिलीप कवठेकर said...

बहुत सही फ़रमाया आपने, ये कला वादी या शुद्धता वादी होकर भी मेहदी सहाब को मेहसूस नही किये तो क्या जिये.उनसे कोई जा के कहे कि इसमें भी सूफ़ियाना रंग देखें.

संजय पटेल जी को जन्म दिन की बधाईयां. आज मानता हूं -

युं ज़िंदगी की राह में टकरा गया कोई,
मंज़िल का रास्ता मुझे दिखला गया कोई..

दिलीप कवठेकर said...

इस ब्लॊग का पता उन्होने ही दिया है.